Manish Mahawar
@anonymous
I'm an undergraduate student from IIITM Gwalior. लेखनी ने दे दिए स्वर गीत मैं गाता रहा कागजों में रंग भरकर सत्य झुठलाता गया एक अनचाहा समर्पण और बस कुछ भी नहीं एक हरियाया हुआ तृण और बस कुछ भी नहीं
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गंध भरे महूबे मन छू गए सकारे